मंगलवार, 5 मई 2020

पशुपतिनाथ

पशुपतिनाथ
पशुपतिनाथ मन्दिर भगवान शिवका पवित्र बासस्थान माना जाता है जाहा भगवान शिवजी के १२ ज्यर्तिसलिङ मे से एक पशुपतिनाथ मन्दिर मे है । ये मन्दिर विश्व साँस्कृतिक विरासत स्थल कि सूचि मे शामिल है । नेपाली प्यागोडा शैलि मै निर्माण किया हुवा ये मन्दिरका छत सोने और तामा से बना हुवा है, गजुर पुरी सोने से बना हुवा है और मुख्य चार द्वार चादिओ से बना हुवा है । पश्चिम और के द्वार के आगे माता नन्दी का विशाल मूर्ति है कहा जाता है कि मन्दिर प्रवेश करते वक्त माता नन्दी से पहले भगवान पशुपतिनाथका दर्शन करना चाहिये नहि तो अशुभ माना जाता हे इसलिए यहा आतो भक्तोजनो पहेले भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन करने के बाद माता नन्दी के दर्शन करते है ।  
The Temple of Lord Shiva
Pashupathnath
विश्वभर मे विख्यात पशुपतिनाथ मन्दिर नेपाल के राजधानि काठमाडौं मै रहा ये मन्दिर राजधानी के करिव २ किलोमिटर पूर्वी कि तरफ वागमती नदी के तट तर अवस्थीत है ये मन्दिर विश्व साँस्कृतिक विरासत स्थल की सूचि मे शामिल है हिन्दु भक्तो के आस्था का प्रतिक ये मन्दिर भगवान शिवका अदित्य शिवलिंग यहा पर हे । पशुपति मन्दिरके उत्पतिके बारे मे बहुत सारा कहवात है कहा जाता हे कि महाभारत कालमै पाण्डव नै महाभारत के लडाई मै गोत्र हत्या किया था भागवान शिवका दर्शन से गोत्र हत्या के पाप धुल जाएगा समझने के बाद पाण्डवो भगवान शिवजी के दर्शन के लिए कैलाश निकले यो बात भगवान शिवको पता चला तो भगवान शिव ने भैस के रुप धारण करके धर्ती पर घुसा और उस भैसका पिछेका हिस्सा केदारनाथ पर निक्ली और आगेका हिस्सा नेपाल के काठमाडौं मे निकला जो आज पशुपति मन्दिर के नाम से जाना जाता है । 

और दुसरा कहावत ये भि है कि भगवान शिवजी देवताओ के साथ छोडकर नेपाल के काठमाडौं आया यहा के हरियालि सुन्दर बृक्ष, जंगल, पेढ पौधे, हिमाली शंखला देख कर यहि पर पशु के रुप धारण कर के बागमती नदी के तट पर रहने लगे उधर कैशल पर शिवजी ना होने के कारण देवताओ ने भगवान शिवजीको ढुडते हुए यहा पर आए ये देख कर देवताओ से दुर रहने के लिए भगवान शिवजी ने बागमती के तट से दुसरी तरफ छलाङ लगा दि तभि भगवान शिवका सिंङ टुटकर पाँच भाग मे बट गए और वहा से पंचलिङ प्रकट हुवा जो आज पशुपतिनाथ मन्दिर से जाना जाता है । 

और ये भि कहावत है कि 
पेहेले ये स्थान पर हिमालय से होकर गाईमाता आकर अपना दुध यहा पर चढाकर फिर हिमालय और चला जाता था और यहा का गाउवाला नै ये देखकर आखिर गाईमाता आकर क्यु दुध चढाता है जान्ने के लिए उस जगह पर जहा पर गाईमाता अपना दुध चढाता था वहा पर खुदाई कि तो वहा पर पंचलिग प्रकट हुवा तभि से वहा पर भगवान शिवजीका मन्दिर स्थापना हुई । 
The Lord of Shiva
Jai Pahupathnath
हिन्दु धर्म के आस्था के प्रतिक ये मन्दिर भगवान शिवका अदित्य शिवलिंग यहा पर हे कहा जाता है कि पशुपतिनाथ कि दर्शन करने से पशु योनी मे जन्म नहि होगा, अज्ञान्ता पापो से मुक्ती होते है, शिवलोक प्राप्त होति है अगर आप ईण्डिया से है तो आप पशुपतिनाथ के दर्शन करना चाहाते है तो आप हवाई मार्ग, अपना सवारि साधन, लोकल सवारी, रोल मार्ग होते हुए यहा का दर्शन कर सक्ते है नेपाल के काठमाडौं मे नेपाल कि एकमात्र अन्र्तराष्ट्रिय हवाईअड्डा है आप इण्डिया के कोइ भि जगह से हवाईमार्ग होते यहा पर आ सक्ते है । काठमाडौं हवाईअड्डा से बस १ किलोमिटर के दुरी मे भगवान पशुपतिनाथ का मन्दिर अवस्थित है अगर आप अपना निजी वाहान से याहा के यात्रा करना चाहाते है तो उत्तर प्रदेश के सुनौली होते आ सक्ते है या विहार के रक्सौल होते भि यहा के यात्रा कर सक्ते है अगर रेलमार्ग से यात्रा करते है तो उत्तरप्रदेश के गोरखपुर तक रेल मे यात्रा करके वहा से लोकल सवारी या निजी सवारी होकर यहा आ सक्ते है यहा आकर आप और भि धार्मिक स्थलो और नेपाल के विश्व साँस्कृतिक विरासत स्थल के सूचि मे रहा सम्पदा देख सक्ते है जैसा कि बौद्धनाथ महाचैत्य, चाँगुनारायण मन्दिर, भक्तपुर दरवार, स्वयम्भुनाथ स्तुपा, हनुमानढोका दरवार, पाटन दरवार, बुद्धका जन्म स्थल लुम्बिनी, सगरमाथा राष्ट्रिय निकुञ्ज, चितवन राष्ट्रिय निकुञ्ज जैसा विश्व साँस्कृतिक विरासत स्थल देश सक्ते है । 

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